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रहस्यमाई चश्मा भाग - 30




 लेकिन उसके शातिर शैतानी चेहरे का अनुमान भी नही था कभी सोचा भी नही था कल्पना भी नही की थी जबकि सच्छाई यही थी कि चुरामन मूलतः शातिर अपराधी प्रबृत्ति का व्यक्ति था एव उसका प्रशिक्षण नत्थू जैसे दुर्दांत अपराधी अराजक असमाजिक व्यक्ति के द्वारा हुआ था श्यामाचरण जी ने बिना किसी पूर्वाग्रह के चुरामन को इस हिदायत के साथ जाने कि अनुमति दे दी कि जाने के बाद वह दारू आदि नही पियेगा और कोई ऐसी हरकत नही करेगा जिससे की उन्हें कोई कठोर निर्णय लेना पड़े चुरामन श्यामाचरण जी कि बात बहुत ध्यान से सुन रहा था,,,,

 उसे लगा कि कही श्यामाचरण जी को यह तो भनक नही लग गयी है कि वह नत्थू जैसे नर पिचास का शिष्य है और भविष्य के खतनाक योजनाओं में सम्मिलित है चुरामन पर तो यह सोचकर जैसे वज्रपात हो गया अपने आपको संभालते हुए बोला नही मालिक कोई शिकायत का मौका आपको नही मिलेगा और चल पड़ा और पूरे रास्ते इसी उधेड़ बुन में था कि कही श्यामाचरण जी को उसकी सच्चाई की जानकारी तो नही हो चुकी है,,,,

कभी उंसे लगता कैसे हो सकती है सम्भव ही नही है इसी उधेड़ बुन में कब वह नत्थू के पास पहुंच गया पता ही नही चला उसके पहुंचते ही नत्थू बोला का बे चुरामना आज त ते बहुते माल काटे होबे सुना है# आज कौनो बड़ा आदमी गांव में आये रहा वोकरे सम्मान में श्यामचरण गांव के खारमख्वाह भोज भात किये तुमहू तो रहे # चुरामना बोला उस्ताद हम जल्दी जल्दी मालिक से इजाजत लेके उहे सब बतावे आये है नत्थू बोला कौन मालिक कुछ दिन और ठहर ते मालिक ऊ श्यामचरण कारिंदा चुरामन नत्थू की बात सुनकर गदगद हो गया उंसे लग रहा था,,,,

 किंतनी जल्दी श्यामाचरण और मंगलम चौधरी के भरत मिलाप की वास्तविकता को बताये इसी उत्तेजना के भाव मे वह बोला मालिक सुनो आज तुम्हारे जीवन भर कि सोच बगुला भगत के लिये ऐसी खबर लाये है कि आप भी क्या कहेंगे चुरामन क्या चीज है नत्थू बोला बकते क्यो नही क्यो भूमिका बना रहे हो नत्थू बोला उस्ताद जो आदमी मंदिर और श्यामाचरण जी के यहॉ गांव में आया था,,,,

वह शुभा वही जो पगलिया थी बिन व्यही माँ जिसके लिए तुम भी बहुत हाथ पैर मारे थे जिसका बेटा सुयश है उसी की खोज में आये थे सुयश भी उनके साथ था और सुनो वह जाने कितने मिलो के मॉलिक है उन्होंने गांव में पगलिया के नाम पर शुभा कन्या इंटरमीडिएट कालेज एव शुभा शिवालय के भव्य निर्माण का वचन दे कर गए थे नत्थू ने पूछा आये कहा से थे नत्थू बोला दरभंगा से नत्थू ने पुनः सवाल किया कि क्या उसका नाम मंगलम चौधरी था,,,,

चुरामन आश्चर्य से बोला उस्ताद लेकिन तोहे कैसे मालूम कि ऊ मंगलम चौधरी ही थे नत्थू बोला आखिर मैं तुम्हारा उस्ताद ऐसे ही थोड़े ही हूँ अब तुम जा सकते हो चुरामना जब श्यामाचरण जी के पास से नत्थू से मिलने का रहा था तब उसे अपने विषय मे श्यामाचरण के जानने न जानने का संसय ऊहापोह था तो नत्थू से मिलकर लौटते समय यह था कि नत्थू आखिर बना किस मिट्टी का है शैतान कि हज़ारों पीडिया भी नत्थू के सामने पानी भरते है।
 चुरामन के जाने के बाद नत्थू बहुत चिंतित हो गया उसका शैतानी दिमाग बहुत जोरो से चलने लगा वह सोचने लगा कि यदि मंगलम चौधरी शुभा तक पहुंच गया तो उसकी सारी योजनाओं पर कुठाराघात हो जाएगा क्योकि वह इस बात से अवगत था कि शुभा ही मंगलम चौधरी कि प्रेमिका और उसके बच्चे सुयश कि बिन व्यही माँ है इसीलिए शुभा जब गांव में आई थी तब नत्थू ने ही गांव भर को उसके विरुद्ध एक जुट कर उसे इस हद तक अपमानित प्रताड़ित किया कि दानवता भी लज्जित हो गयी,,,,


 वह शुभा के गांव में रहते हार कभी नही मानी सदैव कोई ना कोई साजिश षडयंत्र करता रहता जिससे कि शुभा मर जाए या गुमनामी के आंधकार में ऐसा खो जाए कि उसके मिलने की कोई संभावना ही ना हो शुभा के विषय मे वर्तमान तो यही चीख चीख कर कह रहा था कि शुभा किसी भयंकर गुमनामी के अंधेरे में खो चुकी है,,,


 लेकिन सुयश और मंगलम चौधरी एव श्यामाचरण का मिलन उसके लिए भयंकर अशुभ का संकेत एव उसके आपराधिक षड्यंत्र के साम्राज्य के अंत का दस्तक दे रहे थे नत्थू बहुत भयाक्रांत होकर भविष्य के खतरों को भांप धर धर कांपने लगा उसने किसी तरह अपने आपको नियंत्रित किया और पुनः वह सिंद्धान्त अपने खून के विषय मे सोच कर खौफजदा हो जाता उंसे अपने खून सिंद्धान्त का भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा था ।गांव समाज और दुनियां को यही पता था कि नत्थू बेऔलाद है लेकिन किसी को नही पता था कि सिंद्धान्त जो जिसे कचरे से उठाकर मंगलम चौधरी ने पाला था वह वास्तव में नत्थू और नगीना का ही अपना बेटा है।


नत्थू को भलीभांति मालूम था कि शुभा ही मंगलम चौधरी की बिन व्यही संतान सुयश कि माँ है मंगलम चौधरी का सुयश के साथ गांव में आना एव गांव में शुभा शिवालय एव शुभा कन्या इंटरमीडिएट कॉलेज खोलने की घोषणा करना नत्थू को अपनी वर्षो कि कुटिल कलुषित विचारों को योजना ध्वस्त होती स्प्ष्ट दिख रही थी उसके सामने कोई विकल्प नही दिख रहा था,,,,

 उसे यह भी बहुत स्प्ष्ट नजर आ रहा था कि यदि शुभा नही भी मिली तब भी मंगलम चौधरी अपने साम्राज्य का उत्तराधिकारी सुयश को ही नियुक्त करने वाले है क्योंकि उनको मालूम है कि सुयश उनका अपना ही खून है तो सिंद्धान्त का क्या होगा? जिसे वह जन्म देते चल बसी पत्नी सुगंधा को दिए वचन को पालन करने के लिए अपने ही नवजात बेटे को कचरे के डब्बे में घर से बहुत दूर दरभंगा छोड़ आया था,,,,

 वह भी अपनी घटिया सोच कि साजिश का एक महत्वपूर्ण अंग बनाकर उसे भलीभाँति मालूम था कि मंगलम चौधरी नित्य अपने निवास से कुछ दूर स्थित पोखरे पर टहलने जाते है अतः उसने कचरे के डिब्बे में रख कर उसी पोखरे पर अपने नवजात को छोड़कर चला आया था क्योकि उसके खून को जन्म देते समय मरने से पहले ही पत्नी सुगंधा ने नत्थू से वचन ले रखा था कि वह अपनी औलाद को एक अच्छी परिवरिश देने के साथ साथ सर्वोत्तम संस्कृति संस्कारो से शिक्षित दीक्षित करेगा लेकिन सुगंधा को यह भी भली भांति पता था कि उसका पति अपराधी प्रबृत्ति का व्यक्ति है अतः मरने से पूर्व उसने सोचा कि संतान के नैह स्नेह एव वात्सल्य में संम्भवः है,,,,

 उसका पति नत्थू अपराधी जीवन का त्याग कर दे इसीलिये मरने से पूर्व सुगंधा ने पति नत्थू से वचन लिया था कि वह आपराधिक जीवन का त्याग कर अपने संतान को अच्छी परिवरिश दे वचन तो नत्थू ने दे भी दिया था लेकिन उसे मालूम था कि समाज उंसे आपराधिक दुनियां छोड़ने पर क्षमा नही करने वाला और कानून जो उसके सामने पानी भरता है वह उसे अपने शिकंजे में ऐसा कसेगा कि वह पूरी उम्र जेल में चक्की पिसता रहेगा औलाद को परिवरिश क्या देगा ? अतः आपराधिक जीवन त्यागने का वचन तो उसने अपनी पत्नी को दे दिया और औलाद की अच्छी परिवरिश का भी लेकिन मरने के बाद उसने अपने आपराधिक विकृत मानसिकता से अपनी औलाद कि परिवरिश का रास्ता तो निकाल लिया और अपराध जगत में और शसक्त होकर निडर निर्भीक होकर कार्य करने लगा,,,,




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2 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:06 AM

Amazing part

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madhura

06-Sep-2023 05:15 PM

Nice one

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